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Tuesday, April 14, 2009
असहमत होने के खतरे !
बहादुर सोनकर की हत्या वस्तुतः किसी दलित की मायावती और उनकी तथाकथित मनुवादी विरोधी पार्टी से असहमत होने का नतीजा है । यह हत्या जहाँ लोकतान्त्रिक प्रक्रिया का मखौल है वहीँ यह आम आदमी की लोकतंत्र में आस्था को कमजोर करेगी । यह मायावती के मनुवाद विरोध की पोल खोलता है। वैसेमायावती ख़ुद भी सामंतवादी प्रतीकों के प्रति अपने प्रेम को बड़ी ठसक से जगजाहिर करती हैं । बसपा का वोट बैंक सबसे मजबूत माना जा रहा था ऐसे में कोई दलित ख़ुद कैसे इसमे सेंधमारी कर सकता है ?बसपा की असुरछा की यही वजह बहादुर की हत्या का कारन बनी ।
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किन्नर,किन्नर,किन्नर....अरे हम किन्नर नहीं लैंगिक विकलाँग हैं जिन्हें तुम हिजड़ा कहते हो - प्रेम, आदर, सहानुभूति जैसे भावों के चलते ही सही पर हमें किन्नर कह कर संबोधित करा जाता है जो कि किसी भी तरह से हमारी स्थिति की व्याख्या नहीं करता। न ही यह श...14 years ago
in khatron se bachao ke upay bhee kuch naheen dikhte. kiya kya jaye .
ReplyDeleteswagat !
No body is dalit or high class,difference is of moneypower,without money one is dalit and with money one is high class,thats all.Mayavati or Mulayam both are the same ,making maximum money from foolish votebank.
ReplyDeletewelcome to blog dunia
dr.bhoopendra
आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं
ReplyDeleteI AGREE WITH SH>Bhupender singh
ReplyDeleteNo body is dalit or high class,difference is of moneypower,without money one is dalit and with money one is high class,thats all.Mayavati or Mulayam both are the same ,making maximum money from foolish votebank.
welcome to blog dunia
dr.bhoopendra
अच्छा लिखा-लिखते रहें
वोट अवश्य डालें और दो में से किसी एक तथाकथित ही सही राष्ट्रीय या यूं कहें बड़ी पार्टियों में से एक के उम्मीदवार को दें,जिससे कम से कम
सांसदो की दलाली तो रूके-छोटे घटको का ब्लैक मेल[शिबू-सारेण जैसे]से तो बचे अपना लोक-तंत्र ?
गज़ल कविता हेतु मेरे ब्लॉगस पर सादर आमंत्रित हैं।
http://gazalkbahane.blogspot.com/ कम से कम दो गज़ल [वज्न सहित] हर सप्ताह
http:/katha-kavita.blogspot.com/ दो छंद मुक्त कविता हर सप्ताह कभी-कभी लघु-कथा या कथा का छौंक भी मिलेगा
सस्नेह
श्यामसखा‘श्याम
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narayan....narayan...narayan
ReplyDeleteप्रिय बन्धु
ReplyDeleteखुशामदीद
स्वागतम
हमारी बिरादरी में शामिल होने पर बधाई
मेरी सबसे बड़ी चिंता ये है कि आज हमारे समाज का शैक्षिक पतन उरूज पर है पढना तो जैसे लोग भूल चुके हैं और जब तक आप पढेंगे नहीं, आप अच्छा लिख भी नहीं पाएंगे अतः सिर्फ एक निवेदन --अगर आप एक घंटा ब्लॉग पर लिखाई करिए तो दो घंटे ब्लागों कि पढाई भी करिए .शुभकामनाये
जय हिंद
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